Ganga Water Sharing Treaty: वर्तमान राजनीति, केंद्र vs राज्य सरकार, कारण और भविष्य

आपने सामनें केंद्र और राज्य सरकार

Ganga Water Sharing Treaty: भारत और बांग्लादेश के बीच 28 साल पहले हुई गंगा जल बंटवारा संधि के नवीनीकरण पर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार में सहभागिता के लिए आमना – सामना हो गई हैं। बीते दिनों में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Bangladesh PM Sheikh Hasina ) भारत दौरे पर आने के बाद केंद्र सरकार ने इस संधि को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई थी। इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य सरकार को इस मामले से बाहर रखने का आरोप लगाया था। इस विवाद ने गंगा जल बंटवारा संधि को फिर से चर्चा में ला दिया है।

संधि का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

गंगा नदी का महत्व भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। गंगा, जो हिमालय से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है, दोनों देशों के कृषि, संस्कृति और रोजमर्रा के जीवन का अभिन्न हिस्सा है। फरक्का बैराज का निर्माण 1975 में किया गया था ताकि कोलकाता पोर्ट को नदी के जल प्रवाह में वृद्धि के माध्यम से सुधारा जा सके। इस बैराज के निर्माण के बाद से ही बांग्लादेश में जल प्रवाह के मुद्दे उठने लगे थे।

विरोध और विवाद

फरक्का बैराज के निर्माण के तुरंत बाद बांग्लादेश ने विरोध प्रकट किया था, यह दावा करते हुए कि इससे उनके देश में जल की कमी हो जाएगी, जो कृषि और पेयजल की आपूर्ति के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच जल बंटवारे के मुद्दे पर कई दौर की बातचीत हुई।

1996 की संधि

1996 में दोनों देशों के बीच गंगा जल बंटवारा संधि पर हस्ताक्षर हुए। यह संधि दोनों देशों के बीच जल के न्यायसंगत वितरण के लिए की गई थी। इस संधि के अनुसार, फरक्का बैराज में जल की उपलब्‍धता के अनुसार जल का बंटवारा किया जाएगा। इस संधि के तहत अगर फरक्का बैराज में जल की उपलब्‍धता 75,000 क्‍यूसेक होती है, तो भारत के पास 40,000 क्‍यूसेक जल लेने का अधिकार है, और शेष जल बांग्लादेश को मिलेगा।

गंगा जल बंटवारा संधि का प्रभाव (Ganga Water Sharing Treaty Effects)

भारत पर प्रभाव (Ganga Water Sharing Treaty on India)

भारत के लिए यह संधि महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पश्चिम बंगाल और बिहार के किसानों के लिए जल की आपूर्ति सुनिश्चित करती है। फरक्का बैराज का जल प्रवाह कोलकाता पोर्ट के रखरखाव के लिए भी आवश्यक है, जो पूर्वी भारत की आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है।

बांग्लादेश पर प्रभाव (Ganga Water Sharing Treaty on Bangladesh)

बांग्लादेश के लिए गंगा का जल अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेषकर उनके कृषि क्षेत्र के लिए। संधि के अनुसार, बांग्लादेश को जल की पर्याप्त मात्रा मिलती है, जिससे उनके कृषि उत्पादन में सुधार होता है। इसके अलावा, यह संधि दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सहयोग का प्रतीक है।

वर्तमान विवाद और राजनीति (Current politics on Ganga Water Sharing Treaty)

केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तनाव

गंगा जल बंटवारा संधि का नवीनीकरण एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है, विशेषकर जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banrejee) ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उन्हें इस मुद्दे से अलग रखा गया है। बनर्जी का कहना है कि पश्चिम बंगाल को इस मुद्दे पर अधिकतम भागीदारी होनी चाहिए क्योंकि यह राज्य सीधे तौर पर प्रभावित होता है।

केंद्र का दृष्टिकोण

केंद्र सरकार ने बनर्जी के आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार को संधि की आंतरिक समीक्षा समिति में शामिल किया गया था। केंद्र का कहना है कि यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है और इसके नवीनीकरण के लिए सभी संबंधित पक्षों की सहभागिता आवश्यक है।

गंगा जल बंटवारा संधि का भविष्य (Future of Ganga water sharing treaty)

संभावित समाधान

गंगा जल बंटवारा संधि का नवीनीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें दोनों देशों की सहमति और राज्य सरकारों की सहभागिता आवश्यक है। संभावित समाधान के लिए आवश्यक है कि सभी संबंधित पक्ष एक साथ बैठकर एक स्थायी और न्यायसंगत जल बंटवारा व्यवस्था पर सहमति बनाएं।

जल संरक्षण और प्रबंधन

गंगा नदी के जल का संरक्षण और प्रबंधन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। जल संसाधनों का उचित प्रबंधन और उनकी संरक्षण योजनाएं इस संधि के सफल नवीनीकरण के लिए आवश्यक हैं। इसमें दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग और वैज्ञानिक अनुसंधान का आदान-प्रदान भी शामिल है।

निष्कर्ष

गंगा जल बंटवारा संधि एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो भारत और बांग्लादेश के बीच जल के न्यायसंगत बंटवारे को सुनिश्चित करता है। इसका नवीनीकरण एक संवेदनशील और जटिल प्रक्रिया है जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग आवश्यक है। यह संधि दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सहयोग का प्रतीक है और इसके नवीनीकरण के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर काम करना होगा।

गंगा नदी का जल दोनों देशों के लोगों के लिए जीवनरेखा है और इसके उचित बंटवारे और संरक्षण के लिए सभी संबंधित पक्षों की सहभागिता और सहयोग आवश्यक है।

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